Monday, August 30, 2010

ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें........


ज़िंदगी जब भी तेरी बज्म में लाती है हमें !
ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें !!

सुर्ख फूलों से महक उठती हैं दिल की राहें !
दिन ढले यूं तेरी आवाज़ बुलाती है हमें !!

याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से !
रात के पिछले पहर रोज़ जगाती है हमें !!

हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यों है !
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें !!

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