Thursday, August 12, 2010

कहाँ है चांदनी ?


तुम वहीं रह गए
उसे देखो

वह कहां से कहां पहुँच गई

घर की छत पर,
खिडकियों से भीतर ,
परदों के पार,
मखमली घास पर
कहां नहीं है उसकी गमक
कहाँ नहीं है उसकी ठंडक

नदी के मुहाने पर
खलिहान के निकट
चौपाल के गट्टे पर
सड़क के किनारे
रेट के कणों मे
पर्वत के पेड़ पर
कहाँ नहीं है उसकी गमक
कहां नहीं है उसकी महक

तुम ?
क्या है तुम्हारें पास ?
केवल विराट शून्य भरा एक
आकाश ?
तुम वहीं रह गए चाँद
देखो , कहाँ - कहाँ पहुँच गई
तुम्हारी चांदनी

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