Thursday, July 29, 2010

"दोस्त-भक्ति की कलम से


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कोई पास नहीं कोई साथ नहीं तो क्या
ज़िन्दगी ख़ुशी ही नहीं गम भी है
कोई हमसफ़र न मिले तो गम मत कर ऐ दोस्त
तेरे हमकदम हम भी है



ज़िन्दगी में किसी के न होने का शिकवा न करना
इस ज़िन्दगी में रिश्ते और भी है
अंधेरों का नाम न दे ज़िन्दगी को
हर रात क बाद भोर भी है

जानते है इक तरफ ये शिकायत-ए-ख़ामोशी
तो इक तरफ तन्हाई का शोर भी है
तेरी फिक्र है दोस्त इसीलिए कहते है
वरना हमारे दोस्त और भी है

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