क्षितिज जहा संभव सा लगता है मिलन धरती और आकाश का ,
क्षितिज जिसकी हर शह खुबसूरत सी है ,
मानो असंभव भी हो गया हो सम्भव तब ,
क्षितिज तुम्हारे आने की आस और ,
मेरे सपनो की दुनिया ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Sunday, July 25, 2010
क्षितिज
कौन कहता है की जमीं से आसमां नहीं मिलता जब जमी से उठता है बादल तो क्या उसे हवा का साथ नहीं मिलता
जब बरसता है आसमां तो क्या उसे बहारो का दामन नहीं मिलता
बेशक मीलो है दरम्या , मगर गौर से देखो तो क्या क्षितिज पर मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
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