क्षितिज ,संगम धरा व् गगन का,
क्षितिज, जहाँ आदित्य भी है मौन ,
क्षितिज, जहाँ मुमकिन है समस्त ,
क्षितिज ,जहाँ परिपूर्ण है प्रत्येक,
क्षितिज,कल्पना अनंतता की ,
क्षितिज,बस एक क्षितिज,
जहाँ पहुचने की चाह मे है ,
हर कोई,हर समय ,हर संभव ,
क्षितिज बस क्षितिज ....शिवांगी
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