महकती थी गुलशन में जो कली कि तरह |
यूँ तो कोई आता नहीं , इस वीरान चमन में ,
ये किसकी परछाई है , कुछ मेरी ही तरह |
यूँ तो दर्द का रिश्ता बहुत ही गहरा है ,
पर यादें भी कड़वा सच हे ,जिन्दगी कि तरह |
वो आया और चला गया सब कुछ लेकर ,
लिपटी रह गई रूह बदन पर अजनबी कि तरह|
किसे ढूंढती है इस दुनिया -ए -दश्त में 'तन्हा',
कोई साथी हो तेरा भी , खामोशी कि तरह |
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