सफर में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
इधर उधर कई मंजिलें हैं जो चल सको तो चलो
बने बनाये हैं सांचे जो ढल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराकर अगर तुम संभल सको तो चलो
यही है ज़िन्दगी कुछ ख्वाब चंद उम्मीदें
इन्ही खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
हर एक सफर को है महफूज़ रास्तों की तलाश
हिफज़तों की रवायत बदल सको तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज धुआं धुआं है फिजा
ख़ुद अपने आप से बहार निकल सको तो चलो..
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
इधर उधर कई मंजिलें हैं जो चल सको तो चलो
बने बनाये हैं सांचे जो ढल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराकर अगर तुम संभल सको तो चलो
यही है ज़िन्दगी कुछ ख्वाब चंद उम्मीदें
इन्ही खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
हर एक सफर को है महफूज़ रास्तों की तलाश
हिफज़तों की रवायत बदल सको तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज धुआं धुआं है फिजा
ख़ुद अपने आप से बहार निकल सको तो चलो..
This one is my favourite... aur Chitra ji ne kya khub gaya bhi hain ise... really love it..
ReplyDeletemy favourite lines are...
yaha kisi ko koi raasta nahi deta..
mujhe gira kar gar tum sambhal sako to chalo...
thanks for giving me the chance to read it again...