किसी बात पर गिला शिकवा
ना कभी खाई कोई कसम
और ना ही बाध्य किया तुम्हे !
मैंने मचलकर , कभी नहीं कि ,
किसी जिद्दी बच्चे सी कोई ख्वाहिश ,
ना ही कभी जताया ,
तुम पर अपना अधिकार ,
मैंने कभी नहीं कहा तुमसे ,
कि बहुत दुखता है मुझे ,
तुम्हारा दिया हुआ कोई भी जख्म,
ना कभी कि कोशिश ,
कि बांध लू तुम्हारे बहाव को !
मैंने कभी नहीं बाँधा तुम्हे ,
संबोधन कि डोर से ,
ना ही अपने रिश्ते को ,
दिया कोई नाम |
मै बस खडी रही सदियों से मौन |
यो ही प्रतीक्षारत ,
अपने विश्वास कि बाँहे फैलाये |
तुम्हारी रहगुजर पर
कि किसी दिन तो आओगे तुम ,
और आकर ,उड़ेल दोगे मेरी झोली में ,
सारे जहाँ कि खुशियाँ |
मै बस खडी रही सदियों से मौन |
ReplyDeleteयो ही प्रतीक्षारत ,
अपने विश्वास कि बाँहे फैलाये |
सुन्दर अभिव्यक्ति और एहसास ...
Kya kamaal kaa likha hai!
ReplyDeleteदिल छु लेने वाली रचना ...
ReplyDelete.....अपनी तो आदत है मुस्कुराने की !
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
अवश्य ही आएँगी खुशियाँ आपके द्वार ,
ReplyDeleteबस बनाये रखना विशवास और प्यार,
प्रतीक्षा का फल हमेशा मीठा होता है,
यही कहा इश्वर ने, और यही कहता है संसार |
बहुत सुंदर रचना ......
sparkindians.blogspot.com
बहुत शिद्दत से की प्रतीक्षा .... सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 16 -11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...
ReplyDeleteकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
bahvuk kar diya panktiyo ne ..sundr rachna ..kisi kamjor pal ko byaan karti hui :)
ReplyDeleteबेहतरीन!
ReplyDeleteआह! बस इससे आगे कहने को कुछ बचा ही नही।
ReplyDeletePrem ki gahri anubhooti liye ... gazab ki rachna hai ...
ReplyDeletebhaav acche lage.. Shabd sanyojan kamjor hai, par bhaav bahut nischal hain. Keep writing
ReplyDeletePurn Samarpan aur shiddat se intezaar ..... kitanii sundar abhivyakti .... Bahut khoob
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