Sunday, May 22, 2011

तुम बिन...


तुम बिन ज़िन्दगी है सूनी।
बर्फ के चादर सी ठंडी,
खुशियां विहीन,
निष्पन्द, निश्क्रिय
जो गम के धूप से पिघलती
आंसू, गम, दर्द समेटे
सुख ,चैन, शांति गर्त में दबाये
बेजान सी पड़ी है।
काली घाटाओं की तरह,
मन की व्यथा,
नयनों के नीर
आकुल हैं
बरसने के लिये।
पल पल सालता है
चुभता है रीतापन।
ये सूनी रातें,
ये खाली दिन।
कठिन है, कठिन है
जीना तुम्हारे बिन।

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