Sunday, October 3, 2010

आज फिर..


तन्हा तन्हा, खोई खोई,मै और मेरी परछाई..
आज फिर दस्तूर निभाया सबने ,
आज फिर यादें घिर आयी
आज फिर बादें-सबां हुआ रोशन ,
आज फिर बहार चली आई
तन्हा तन्हा, खोई खोई ,मै और मेरी परछाई
आज फिर धड़कन बनी चंचल , आज फिर लफ्जों में गहराई
आज फिर मुस्कुराहट बनी बोझल आज फिर हँसतें- हँसते आँख भर आई
तन्हा तन्हा, खोई खोई ,मै और मेरी परछाई
आज फिर कसम खामोशी की, आज फिर मंजिल दूर नजर आई
आज फिर नव आस मै मन ,आज फिर आहट किसी की आई
तन्हा तन्हा, खोई खोई ,मै और मेरी परछाई

1 comment:

  1. आज फिर मुस्कुराहट बनी बोझल
    आज फिर हँसतें- हँसते आँख भर आई

    भावनाओं को बखूबी लिखा है ..

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